घर से बस करीब चार किलोमीटर दूर फोन पर दूसरी तरफ बीवी ने साफ सुना था कोई कह रहा था कि गाड़ी सड़क किनारे लगाओ. खुद उसने फोन पर कहा था कि वो गाड़ी के पेपर चेक करवा रहा है. इसके बाद फोन बंद हो जाता है और गौरव चंदेल गायब. अगली सुबह करीब तीन किलोमीटर दूर गौरव की लाश मिलती है. करीब 15 दिन हो गए गौरव के कत्ल को, लेकिन नोएडा पुलिस ने शुरूआत से ही जिस तरह से इस पूरे मामले की तफ्तीश की है उसने आरुषि केस के बाद इसे नोएडा की दूसरी सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री बना दिया है.
8 मार्च 1999, साहिबाबाद, गाज़ियाबाद
आउटलुक मैगज़ीन के कार्टूनिस्ट इरफान हुसैन दिल्ली प्रेस क्लब से साहिबाबाद अपने घर लौट रहे थे. रात का वक्त था. घर के करीब पहुंचने से पहले इरफान हुसैन अपनी बीवी को फोन करते हैं. कहते हैं कि वो अगले 15 मिनट में घर पहुंच जाएंगे. लेकिन इरफान हुसैन घर नहीं पहुंचते. इरफान की पत्नी मुनीरा पूरी रात इरफान को ढूंढती है. पर इरफान का कोई सुराग नहीं मिला. 9 मार्च की सुबह सुबह मुनीरा इरफान की गुमशुदगी की रिपोर्ट पुलिस में लिखाती है. 5 दिन बाद.. 13 मार्च 1999 को नेशनल हाईवे नंबर 24 पर गाज़ीपुर के करीब सड़क किनारे इरफान की लाश मिलती है. बेहद खराब हालत में. इरफान के दोनों हाथ पैर बंधे हुए थे. गला कटा हुआ और जिस्म पर चाकुओं के 28 ज़ख्म. इरफान की कार और मोबाइल फोन गायब था. बाद में इस केस में जिन पांच संदिग्धों को पुलिस ने पकड़ा था. वो सभी निचली अदालत में ही बरी हो गए. इरफान के कत्ल के पीछे साज़िश थी, दुश्मनी या फिर लूटपाट. आज भी कोई दावे से नहीं कह सकता.