वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेंटल हेल्थ ने 1992 में लोगों को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के लिए सचेत करने के लिए विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस की शुरूआत की थी. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार पूरी दुनिया में 450 मिलियन लोग मानसिक बीमारियों का शिकार हैं.
अवसाद का शिकार लोग बने कातिल
मानिसक रोग का शिकार बने लोग कभी-कभी अवसाद की आखिरी हद तक चले जाते हैं. ऐसी हालत में या तो वो अपनी जान दे देते हैं, या फिर दूसरों की जान ले लेते हैं. कई बार उन्हें दूसरों की जान लेने में मजा आने लगता है. और वो जाने-अनजाने में सीरियल किलर बन जाते हैं.
सीरियल किलिंग की परिभाषा
सीरियल किलर शब्द का इस्तेमाल 1966 में ब्रिटिश लेखक जॉन ब्रोडी ने सबसे पहले किया था. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ जस्टिस ने अलग-अलग घटनाओं में दो या दो से अधिक कत्ल की सीरीज को सीरियल किलिंग के रूप में परिभाषित किया है. इस तरह एक मानसिक विकृति से पीड़ित शख्स अपनी संतुष्टि के लिए यदि मर्डर को अंजाम देता है, तो वह सीरियल किलर कहलाता है. सीरियल किलिंग का मुख्य मकसद मनोवैज्ञानिक संतुष्टि होती है. क्रोध, रोमांच, वित्तीय लाभ और ध्यान आकर्षित करने के लिए अधिकतर सीरियल मर्डर किए जाते हैं. मशहूर शोधकर्ता स्टीव इग्गेर ने इनकी छह विशेषताएं बताई हैं-
1- कम से कम दो हत्या
2- हत्यारे-शिकार में कोई संबंध नहीं
3- हत्याओं के बीच सीधा संबंध
4- अलग-अलग स्थानों पर हत्याएं
5- पीड़ितों की एक समान बातें
6- लाभ की बजाए संतुष्टि के लिए हत्या.
निठारी से भी बड़ा था रविन्द्र का कांड
कुछ साल पहले दिल्ली पुलिस की गिरफ्त में एक ऐसा सीरियल किलर आया, जिसने करीब 35 वारदातों को अंजाम दिया था. 2007 में नोएडा के निठारी कांड में सुरेन्द्र कोली का खूंखार चेहरा लोगों के सामने आया था. इसे इत्तेफाक ही कहिए कि जब कोली अपने गुनाहों के लिए जेल में बंद था, तब एक दूसरा शैतान मासूमों को अपना शिकार बना रहा था. ये शैतान रविन्द्र ही था, जिसने साल 2008 में रेप और कत्ल की पहली वारदात को अंजाम दिया था. इसके बाद वो लगातार 6 साल तक ऐसी ही वारदातों को अंजाम देता रहा और सात साल बाद उसके वहशी चेहरे से पर्दा उठ गया.
वो सुरेंद्र था निठारी का शैतान था तो रविंद्र दिल्ली का वहशी. सुरेंद्र कोली की हैवानियत की दास्तान सुनने और सुनाने के लिए भी कलेजा चाहिए था. रविंद्र की कहानी सुनने के लिए दिल पर पत्थर रखना पड़ेगा. जी हां, इस वहशी दरिंदे ने 2008 में पहला क़त्ल किया था. हर दो से तीन महीने में एक बच्चा उठाता था यानी साल में कम से चार बच्चे को उठाता. इस तरह 7 साल में इसने 28 बच्चों को बेरहमी के साथ मार डाला था.
दिमागी हालत ठीक करने के लिए बच्चियों से रेप
सीरियल किलिंग की इस खौफनाक घटना का खुलासा जुलाई, 2015 में हुआ था. मथुरा का रहने वाले एक शख्स ने पत्नी की दिमागी हालत ठीक करने के लिए न सिर्फ 4 नाबालिग लड़कियों का रेप किया बल्कि उनकी हत्या भी की. पुलिस की पूछताछ में खुलासा हुआ कि उसके निशाने पर कुल सात बच्चियां थीं. ये सब उसने एक तांत्रिक के कहने पर किया था.
इसका खुलासा तब हुआ जब 12 साल की बच्ची की रेप और हत्या के आरोप में भीड़ ने लालुआ वाल्मिकी नाम के शख्स की पीट-पीटकर हत्या कर दी. साथ ही उसके दोस्त सोनू को भी अधमरा कर दिया. आगरा के एसएन हॉस्पिटल में इलाजरत सोनू ने पुलिस की पूछताछ में कई चौंकाने वाले खुलासे किए. उसने बताया कि दोस्त लालुआ के साथ मिलकर उसने चार नाबालिग लड़कियों की हत्या की साजिश रची.
सपने में बाबा ने कहा- बड़ा बनना है, तो मर्डर करो
दिल्ली पुलिस ने एक ऐसे नाबालिग लड़के को पकड़ा, जिसने महज तीन दिन में दो हत्याएं की थीं. पुलिस को शक था कि दो कत्ल में कहीं न कहीं इसी का हाथ है. उसे पकड़कर उसका मुंह खुलवाया तो जो हकीकत सामने आई. उसने सभी को चौंका दिया. उस बच्चे के मन में अमीर बनने की सनक पैदा करके उसको गुनाह का रास्ता दिखाने वाला एक बाबा निकला, जो उसके सपनों में आता था. दरअसल, वो एक तरह के मानसिक रोग का शिकार था.
यह सनसनीखेज घटना पश्चिमी दिल्ली के निहाल विहार की थी. घटना अक्टूबर, 2015 की है. तीन दिन के भीतर दो लोगों के मर्डर में पुलिस ने एक नाबालिग समेत दो लोगों को पकड़ा. उनसे जब पूछताछ की गई तो ऐसा सच सामने आया, जिससे दिल्ली पुलिस भी दंग रह गई. आरोपी ने पूछताछ में बताया कि बड़ा आदमी बनने की चाह में उसने इन कत्लों को अंजाम दिया. उसके सपने में एक बाबा ने आकर उसे कहा कि यदि उसे बड़ा आदमी बनना है, तो वह कत्ल करे.